RSMSSB Agriculture Supervisor Syllabus and Paper Pattern Tips in Hindi
Rajasthan Subordinate and Ministerial Services Selection Board (RSMSSB) is ready to recruit all eligible and interested candidates for the post of Agriculture Supervisor. The vacancy has been issued by the Supervisor Authority for this post.
Agriculture Supervisor post is one of the prestigious posts in RSMSSB and every year lakhs of students appear in the exam. In this post, we are covering RSMSSB Agriculture Supervisor Exam Syllabus. Candidates check the complete syllabus of RSMSSB Agriculture Supervisor on this page.
Exam Pattern
In Agriculture Supervisor post of RSMSSB total 5 subjects come in the examination. The examination pattern of Agriculture Supervisor Post is mention below under the table. The examination pattern helps the candidate to know the subject, marks and the number of question which will come in the exam. The examination pattern is as follows:
Name Of The Subject |
Maximum Marks |
Number Of Question |
General Hindi |
45 |
15 |
Rajasthan's general knowledge, history and culture |
75 |
25 |
Culinary Science (शस्य विज्ञान) |
60 |
20 |
Horticulture |
60 |
20 |
Animal Husbandry |
60 |
20 |
Total |
300 |
100 |
The detailed along with the topics distribution of the agriculture supervisor post of RSMSSB is mention below. Candidate can check the syllabus and prepare according to this. The Syllabus is as follow:
General Hindi
- दिए गए शब्दों की संधि एवं शब्दों का संधि- विच्छेद |
- उपसर्ग एवं प्रत्यय- इनके संयोग तथा शब्दों से उपसर्ग एवं प्रत्यय को पृथक करना, इनकी पहचान |
- समस्त (सामासिक) पद रचना करना, समस्त (सामासिक) पद का विग्रह करना |
- शब्द युग्मो अर्थ भेद |
- पर्यावाची शब्द और विलोम शब्द
- शब्द शुद्धि: दिए गए अशुद्ध शब्दों को शुद्ध लिखना
- वाक्य शुद्धि: वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों छोड़कर वाक्य सम्बन्धी अन्य व्याकरणीक अशुद्धियों का शुद्धिकरण
- वाक्यांश के लिए एक उपयुक्त शब्द
- पारिभाषिक शब्दावली- प्रशासन से सम्भंदित अंग्रेजी शब्दों के समकक्ष हिंदी शब्द
- मुहावरे- वाक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है |
- लोकोक्ति- वाक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है |
Rajasthan's general knowledge, history and culture
-
राजस्थान की भौगोलिक संरचना- भौगोलिक विभाजन, जलवायु, प्रमुख पर्वत, नदियां, मरुसथल एवं फसलें |
- राजस्थान का इतिहास
सभ्यतांए- कालीबंगा एवं आहड
प्रमुख व्यक्तित्व- महाराणा कुंभा, महाराणा सांग, महाराणा प्रताप, राव जोधा, राव मालदेव, महाराजा जसवंतसिंघ, वीर दुर्गादास, जयपुर के महाराजा मानसिंघ- प्रथम, सवाई जयसिंह, बीकानेर के महाराजा गंगासिंह इत्याद्दी |
राजस्थान के प्रमुख साहित्यकार, लोक कलाकार, संगीतकार, गायक कलाकार, खेल एवं खिलाडी इत्याद्दी |
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थान का योगदान एवं राजस्थान का एकीकरण
- विभिन्न जातियाँ - जन जातियाँ
- स्त्री- पुरुषो के वस्त्र एवं आभूषण
- चित्रकारी एवं हस्तशिल्पकला- चित्रकला की विभिन्न शैलिया, भितति चित्र, प्रस्तर शिल्प, काष्ठं कला, मृदमाणड (मिट्टी) कला, उस्ता कला, हस्त औजार, नमदे- गलीचे आदि
- स्थापत्य- दुर्ग, महल, हवेलिया, छतरिया, बावडिया, तालाब, मंदिर- मस्जिद अदि |
- संस्कार एवं रीति रिवाज |
- धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल |
- विभिन्न राजस्थानी बोलियां, कृषि, पशुपालन क्रियाओ की राजस्थानी शब्दावली |
- कृषि, पशुपालन एवं व्यावसायिक शब्दावली |
- लोक देवी- देवता- प्रमुख संत एवं सम्प्रदाय |
- प्रमुख लोक पर्व, त्योहार, मेले- पशुमेले |
- राजस्थानी लोक कथा, लोक गीत एवं नृत्य, मुहावरे, कहावतें, फड, लोक नाट्य, लोक वाद्य एवं कठपुतली कला |
- विभिन्न जातियां - जन जातिंया।
- स्त्री - पुरूष के वस्त्र एवं आभूषण
- चित्रकारी एवं हस्तशिल्पकला - चित्रकला की विभिन्न शैलियां, भित्ति चित्र, प्रस्तर शिल्प, काष्ठ कला मृदमाण्ड (मिट्टी) कला , उस्ता कला, हस्त औजार, नमदे-गलीचे आदि।
- स्थापत्य - दुर्ग, महल, हवेलियां, छतरियां, बावडियां, तालाब, मंदिर-मस्जिद आदि।
- संस्कार एवं रीति रिवाज
- धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल।
शस्य विज्ञान
- राजस्थान की भोगोलिक स्थिति, कृषि एवं कृषि सांख्यिकी का सामान्य ज्ञान। राज्य मे कृयिा, उधानिकी एवं पशुधन का परिदृश्य एवं महत्व। राजस्थान की कृषि एवं उधानिकी उत्पादन मे मुख्य बाधाऐं। राजस्थान के जलवायुवीय खण्ड, मृदा उर्वरता एवं उत्पादकता। क्षारीय एवं असर भूमियां, अम्लीय भूमि एवं इनका प्रबन्धन।
- राजस्थान मे मृदाओं का प्रकार, मृदा क्षरण, जल एवं मृदा संरक्षण के तरीके, पौधो के लिए आवश्यक पोषक तत्व, उपलब्धता एवं स्त्रोत, राजस्थानी भाषा में परम्परागत शस्य क्रियाओं की शब्दावली। जीवांश खादों का महत्व, प्रकार एवं बनाने की विधियां तथा नत्रजन, फास्फोरस, पोटेशियम उर्वरक, एकल, मिश्रित एवं यौगिक उर्वरक एवं उनके प्रयोग की विधयां। फसलोत्पादन में सिंचाई का महत्व, सिंचाई के स्त्रोत, फसलों की जल मांग एवं प्रभावित करने वाले कारक। सिंचाई की विधियां- विशेषतः फव्वारा, बून्द-बून्द, रेनगन आदि। सिंचाई की आवश्यकता, समय एवं मात्रा। जल निकास एवं इसका महत्व, जल निकास की विधियां। राजस्थान के संदर्भ मे परम्परागत सिंचाई के संबंधि शब्दावली। मृदा परीक्षण एवं समस्याग्रस्त मृदाओं का सुधार। साईजेल, हे-मेकिंग, चारा संरक्षण।
- खरपतवार - विशेषताऐं, वर्गीकरण, खरपतवारों से नुकसान, खरपतवार नियंत्रण की विधियां, राजस्थान की मुख्य फसलों मे खरपतवारनाशी रसायनों से खरपतवार नियंत्रण। खरपतवारों की राजस्थानी भाषा में शब्दावली।
- निम्न मुख्य फसलों के लिए जलवायु, मृदा, खेत की तैयारी किस्में, बीज उपचार, बीज दर, बुवाई समय, उर्वरक, सिंचाई अन्तराशस्यन, पौध संरक्षण, कटाई-मढ़ाई, भण्डारण एवं फसल चक्र की जानकारी -
- अनाज वाली फसले - मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेंहू एवं जौ।
- दाले - मूंग, चॅवला, मसूर, उड़द, मोठ, चना एवं मटर।
- तिलहनी फसले - मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सरसों, अलसी, अरण्डी, सूरजमुखी एवं तारामीरा।
- रेशेदार फसले - कपास
- चारे वाली फसले - बरसीम, रिजका एवं जई।
- मसाले वाली फसले - सौंफ, मैथी, जीरा एवं धनिया।
- नकदी फसले - ग्वार एवं गन्ना।
- उत्तम बीज के गुण, बीज अंकुरण एवं इसको प्रभावित करने वाले कारक, बीज वर्गीकरण, मूल केन्द्रक बीज, प्रजनक बीज, आधार बीज, प्रमाणित बींज
- शुष्क खेती - महत्व, शुष्क खेती की तकनीकी। मिश्रित फसल, इसके प्रकार एवं महत्व। फसल चक्र - महत्व एवं सिद्धान्त राजस्थान क संदर्भ मे कृषि विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी अनाज एवं बीज भण्डारण।
भाग 4 उधानिकी
- उधानिकी फलों एवं सब्जियों का महत्व, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य। फलदार पौधो की नर्सरी प्रबन्धन। पादप प्रवर्धन, पौध रोपण। फलोधान के स्थान का चुनाव एवं योजना। उधान लगाने की विभिन्न रेखांकन विधिया। पाला, लू एवं अफलन जैसी मौसम की विपरीत परिस्थितियां एवं इनका समाधान। फलोधान में विभिन्न पादप वृद्धि नियंत्रको का प्रयोग। सब्जी उत्पादन की विधियां एवं सब्जी उत्पादन में नर्सरी प्रबन्धन।
- राजस्थान में जलवायु, मृदा, उन्नत किस्में, प्रवर्धन विधियां, जीवांश खाद व उर्वरक, सिंचाई, कटाई उपज, प्रमुख कीट एवं बीमारियां एवं इनका नियंत्रण सहित निम्न उधानिकी फसलों की जानकारी - आम, नीम्बू वर्गीय फल, अमरूद, अनार, पपीता, बेर, खजूर, आंवला, अंगूर, लहसूवा, बील, टमाटर, प्याज, फूल गोभी, पत्ता गोभी, भिण्डी, कद्दू वर्गीय सब्जियां, बैंगन, मिर्च, लहसून, मटर, गाजर, मूली, पालक। फल एवं सब्जी परीक्षण का महत्व, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य, फल परीक्षण के सिद्धान्त एवं विधियां। डिब्बाबन्दी, सुखाना एवं निर्जलीकरण की तकनीक व राजस्थान मे इनकी परम्परागत विधिया। फलपाक (जैम), अवलेह, (जेली), केन्डी, शर्बत, पानक (स्क्वेश) आदि को बनाने की विधिया।
- औषधीय पौधों व फूलों की खेती का राजस्थान के संदर्भ मे सामान्य ज्ञान। राजस्थान क संदर्भ मे उधान विभाग की महत्वपूर्ण योजनाएं।
भाग 5 पशुपालन
- पशुपालन का कृषि में महत्व। पशुधन का दूध उत्पादन में महत्व एवं प्रबन्धन। निम्न पशुधन नस्लों की विशेषताऐं, उपयोगिता व उत्पति स्थान का सामान्य ज्ञान:-
- गाय - गीर, थारपारकर, नागौरी, राठी, जर्सी, होलिस्टन फ्रिजीयन, मालवी, हरियाणा, मेवाती।
- भैंस - मुर्रा, सूरती, नीली रावी, भदावरी, जाफरवादी, मेहसाना।
- बकरी - जमनापारी, बारबरी, बीटल, टोगनबर्ग।
- भेड़ - मारवाड़ी, चोकला, मालपुरा, मेरीनों, कराकुल, जैसलमेरी, अविवस्त्र, अविकालीन।
- ऊंट प्रबन्धन, पशुओं की आयु गणना।
- सामान्य पशु औषधियों के प्रकार, उपयोग, मात्रा तथा दवाईया देने का तरीका।
- जीवाणुरोधक - फिनाईल, कार्बोलिक एसिड, पोटेशियम परमेगनेट, लाईसोल
- विरेचक - मेगनेशियम सल्फेट (मैकसल्फ), अरण्डी का तेल।
- उत्तेजक - एल्कोहल, कपूर।
- क्रमिनाशक - नीला थोथा, फिनोविस।
- मर्दन तेल - तारपीन का तेल।
- राजस्थान के पशुओं की मुख्य बीमारियों के कारक, लक्षण तथा उपचार - पशु-प्लेग, खुरपका-मुंहपका, लगड़ी, एन्थ्रेक्स, गलघोटूं, थनेला रोग, दुग्ध बुखार, रानीखेत, मुर्गियों की चेचक, मुर्गियों की खूनीपेचिस।
- दुग्ध उत्पादन, दुग्ध एवं खीस संघटन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, दुग्ध परिरक्षण, दुग्ध परीक्षण एवं गुणवत्ता। दुग्ध मे वसा को ज्ञात करना, आपेक्षित घनत्व, अम्लता तथा क्रीम पृथक्करण की विधि तथा यंत्रो की आवश्यकता एवं दही, पनीर व घी बनाने की विधि। दुग्धशाला के बरतनों की सफाई एवं जीवाणु रहित करना। राजस्थान क संदर्भ मे पशुपालन क्रियाओं एवं गतिविधियों से संबंधित शब्दावली।
प्रश्न पत्र का पेटर्न
- वैकल्पिक प्रकार का प्रश्न पत्र होगा।
- अधिकतम पूर्णाक 300 अंक होगा।
- प्रश्नों की संख्या 100 होगी।
- प्रश्न पत्र की अवधि 2 घंटे होगी।
- प्रत्येक प्रश्न क 3 अंक होगे।
- प्रत्येक गलत उत्तर के लिए .33 अंक काटा जायेगा।
We provided here the syllabus candidates can do preparation according to this if there is any queries please mention it through the comment box mention below. We will reply the answer of your query as soon as possible.
RSMSSB कृषि पर्यवेक्षक पाठ्यक्रम
राजस्थान अधीनस्थ और मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड (RSMSSB) कृषि पर्यवेक्षक के पद के लिए सभी पात्र और इच्छुक उम्मीदवारों की भर्ती के लिए तैयार है।
कृषि पर्यवेक्षक पद, RSMSSB में प्रतिष्ठित पदों में से एक है और हर साल लाखों की संख्या में छात्र परीक्षा में उपस्थित होते हैं। इस पोस्ट में, हम RSMSSB कृषि पर्यवेक्षक परीक्षा सिलेबस को कवर कर रहे हैं। उम्मीदवार इस पृष्ठ में कृषि पर्यवेक्षक के पूरे पाठ्यक्रम की जाँच करता है।
परीक्षा पैटर्न
आरएसएमएसएसबी के कृषि पर्यवेक्षक पद में कुल 5 विषय परीक्षा में आते हैं। परीक्षा पैटर्न तालिका के नीचे उल्लेखित है। परीक्षा पैटर्न उम्मीदवार को विषय, अंक और प्रश्न की संख्या जानने में मदद करता है जो परीक्षा में आएगा। परीक्षा पैटर्न निम्नानुसार है:
विषय का नाम |
अधिकतम अंक |
प्रश्न की संख्या |
सामान्य हिंदी |
45 |
15 |
राजस्थान का सामान्य ज्ञान, इतिहास और संस्कृति |
75 |
25 |
Culinary Science (शस्य विज्ञान) |
60 |
20 |
बागवानी |
60 |
20 |
पशुपालन |
60 |
20 |
संपूर्ण |
300 |
100 |
RSMSSB के कृषि पर्यवेक्षक पद के विषयों के वितरण के साथ विस्तृत नीचे उल्लेख किया गया है। उम्मीदवार पाठ्यक्रम की जांच कर सकते हैं और इसके अनुसार तैयारी कर सकते हैं। पाठ्यक्रम इस प्रकार है:
सामान्य हिंदी
- दिए गए शब्दों की संधि एवं शब्दों का संधि- विच्छेद |
- उपसर्ग एवं प्रत्यय- इनके संयोग तथा शब्दों से उपसर्ग एवं प्रत्यय को पृथक करना, इनकी पहचान |
- समस्त (सामासिक) पद रचना करना, समस्त (सामासिक) पद का विग्रह करना |
- शब्द युग्मो अर्थ भेद |
- पर्यावाची शब्द और विलोम शब्द
- शब्द शुद्धि: दिए गए अशुद्ध शब्दों को शुद्ध लिखना
- वाक्य शुद्धि: वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों छोड़कर वाक्य सम्बन्धी अन्य व्याकरणीक अशुद्धियों का शुद्धिकरण
- वाक्यांश के लिए एक उपयुक्त शब्द
- पारिभाषिक शब्दावली- प्रशासन से सम्भंदित अंग्रेजी शब्दों के समकक्ष हिंदी शब्द
- मुहावरे- वाक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है |
- लोकोक्ति- वाक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है |
राजस्थान का सामान्य ज्ञान, इतिहास और संस्कृति
- राजस्थान की भौगोलिक संरचना- भौगोलिक विभाजन, जलवायु, प्रमुख पर्वत, नदियां, मरुसथल एवं फसलें |
- राजस्थान का इतिहास
सभ्यतांए- कालीबंगा एवं आहड
प्रमुख व्यक्तित्व- महाराणा कुंभा, महाराणा सांग, महाराणा प्रताप, राव जोधा, राव मालदेव, महाराजा जसवंतसिंघ, वीर दुर्गादास, जयपुर के महाराजा मानसिंघ- प्रथम, सवाई जयसिंह, बीकानेर के महाराजा गंगासिंह इत्याद्दी |
राजस्थान के प्रमुख साहित्यकार, लोक कलाकार, संगीतकार, गायक कलाकार, खेल एवं खिलाडी इत्याद्दी |
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थान का योगदान एवं राजस्थान का एकीकरण
- विभिन्न जातियाँ - जन जातियाँ
- स्त्री- पुरुषो के वस्त्र एवं आभूषण
- चित्रकारी एवं हस्तशिल्पकला- चित्रकला की विभिन्न शैलिया, भितति चित्र, प्रस्तर शिल्प, काष्ठं कला, मृदमाणड (मिट्टी) कला, उस्ता कला, हस्त औजार, नमदे- गलीचे आदि
- स्थापत्य- दुर्ग, महल, हवेलिया, छतरिया, बावडिया, तालाब, मंदिर- मस्जिद अदि |
- संस्कार एवं रीति रिवाज |
- धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल |
- विभिन्न राजस्थानी बोलियां, कृषि, पशुपालन क्रियाओ की राजस्थानी शब्दावली |
- कृषि, पशुपालन एवं व्यावसायिक शब्दावली |
- लोक देवी- देवता- प्रमुख संत एवं सम्प्रदाय |
- प्रमुख लोक पर्व, त्योहार, मेले- पशुमेले |
- राजस्थानी लोक कथा, लोक गीत एवं नृत्य, मुहावरे, कहावतें, फड, लोक नाट्य, लोक वाद्य एवं कठपुतली कला |
- विभिन्न जातियां - जन जातिंया।
- स्त्री - पुरूष के वस्त्र एवं आभूषण
- चित्रकारी एवं हस्तशिल्पकला - चित्रकला की विभिन्न शैलियां, भित्ति चित्र, प्रस्तर शिल्प, काष्ठ कला मृदमाण्ड (मिट्टी) कला , उस्ता कला, हस्त औजार, नमदे-गलीचे आदि।
- स्थापत्य - दुर्ग, महल, हवेलियां, छतरियां, बावडियां, तालाब, मंदिर-मस्जिद आदि।
- संस्कार एवं रीति रिवाज
- धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल।
शस्य विज्ञान
- राजस्थान की भोगोलिक स्थिति, कृषि एवं कृषि सांख्यिकी का सामान्य ज्ञान। राज्य मे कृयिा, उधानिकी एवं पशुधन का परिदृश्य एवं महत्व। राजस्थान की कृषि एवं उधानिकी उत्पादन मे मुख्य बाधाऐं। राजस्थान के जलवायुवीय खण्ड, मृदा उर्वरता एवं उत्पादकता। क्षारीय एवं असर भूमियां, अम्लीय भूमि एवं इनका प्रबन्धन।
- राजस्थान मे मृदाओं का प्रकार, मृदा क्षरण, जल एवं मृदा संरक्षण के तरीके, पौधो के लिए आवश्यक पोषक तत्व, उपलब्धता एवं स्त्रोत, राजस्थानी भाषा में परम्परागत शस्य क्रियाओं की शब्दावली। जीवांश खादों का महत्व, प्रकार एवं बनाने की विधियां तथा नत्रजन, फास्फोरस, पोटेशियम उर्वरक, एकल, मिश्रित एवं यौगिक उर्वरक एवं उनके प्रयोग की विधयां। फसलोत्पादन में सिंचाई का महत्व, सिंचाई के स्त्रोत, फसलों की जल मांग एवं प्रभावित करने वाले कारक। सिंचाई की विधियां- विशेषतः फव्वारा, बून्द-बून्द, रेनगन आदि। सिंचाई की आवश्यकता, समय एवं मात्रा। जल निकास एवं इसका महत्व, जल निकास की विधियां। राजस्थान के संदर्भ मे परम्परागत सिंचाई के संबंधि शब्दावली। मृदा परीक्षण एवं समस्याग्रस्त मृदाओं का सुधार। साईजेल, हे-मेकिंग, चारा संरक्षण।
- खरपतवार - विशेषताऐं, वर्गीकरण, खरपतवारों से नुकसान, खरपतवार नियंत्रण की विधियां, राजस्थान की मुख्य फसलों मे खरपतवारनाशी रसायनों से खरपतवार नियंत्रण। खरपतवारों की राजस्थानी भाषा में शब्दावली।
- निम्न मुख्य फसलों के लिए जलवायु, मृदा, खेत की तैयारी किस्में, बीज उपचार, बीज दर, बुवाई समय, उर्वरक, सिंचाई अन्तराशस्यन, पौध संरक्षण, कटाई-मढ़ाई, भण्डारण एवं फसल चक्र की जानकारी -
- अनाज वाली फसले - मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेंहू एवं जौ।
- दाले - मूंग, चॅवला, मसूर, उड़द, मोठ, चना एवं मटर।
- तिलहनी फसले - मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सरसों, अलसी, अरण्डी, सूरजमुखी एवं तारामीरा।
- रेशेदार फसले - कपास
- चारे वाली फसले - बरसीम, रिजका एवं जई।
- मसाले वाली फसले - सौंफ, मैथी, जीरा एवं धनिया।
- नकदी फसले - ग्वार एवं गन्ना।
- उत्तम बीज के गुण, बीज अंकुरण एवं इसको प्रभावित करने वाले कारक, बीज वर्गीकरण, मूल केन्द्रक बीज, प्रजनक बीज, आधार बीज, प्रमाणित बींज
- शुष्क खेती - महत्व, शुष्क खेती की तकनीकी। मिश्रित फसल, इसके प्रकार एवं महत्व। फसल चक्र - महत्व एवं सिद्धान्त राजस्थान क संदर्भ मे कृषि विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी अनाज एवं बीज भण्डारण।
भाग 4 उधानिकी
- उधानिकी फलों एवं सब्जियों का महत्व, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य। फलदार पौधो की नर्सरी प्रबन्धन। पादप प्रवर्धन, पौध रोपण। फलोधान के स्थान का चुनाव एवं योजना। उधान लगाने की विभिन्न रेखांकन विधिया। पाला, लू एवं अफलन जैसी मौसम की विपरीत परिस्थितियां एवं इनका समाधान। फलोधान में विभिन्न पादप वृद्धि नियंत्रको का प्रयोग। सब्जी उत्पादन की विधियां एवं सब्जी उत्पादन में नर्सरी प्रबन्धन।
- राजस्थान में जलवायु, मृदा, उन्नत किस्में, प्रवर्धन विधियां, जीवांश खाद व उर्वरक, सिंचाई, कटाई उपज, प्रमुख कीट एवं बीमारियां एवं इनका नियंत्रण सहित निम्न उधानिकी फसलों की जानकारी - आम, नीम्बू वर्गीय फल, अमरूद, अनार, पपीता, बेर, खजूर, आंवला, अंगूर, लहसूवा, बील, टमाटर, प्याज, फूल गोभी, पत्ता गोभी, भिण्डी, कद्दू वर्गीय सब्जियां, बैंगन, मिर्च, लहसून, मटर, गाजर, मूली, पालक। फल एवं सब्जी परीक्षण का महत्व, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य, फल परीक्षण के सिद्धान्त एवं विधियां। डिब्बाबन्दी, सुखाना एवं निर्जलीकरण की तकनीक व राजस्थान मे इनकी परम्परागत विधिया। फलपाक (जैम), अवलेह, (जेली), केन्डी, शर्बत, पानक (स्क्वेश) आदि को बनाने की विधिया।
- औषधीय पौधों व फूलों की खेती का राजस्थान के संदर्भ मे सामान्य ज्ञान। राजस्थान क संदर्भ मे उधान विभाग की महत्वपूर्ण योजनाएं।
भाग 5 पशुपालन
- पशुपालन का कृषि में महत्व। पशुधन का दूध उत्पादन में महत्व एवं प्रबन्धन। निम्न पशुधन नस्लों की विशेषताऐं, उपयोगिता व उत्पति स्थान का सामान्य ज्ञान:-
- गाय - गीर, थारपारकर, नागौरी, राठी, जर्सी, होलिस्टन फ्रिजीयन, मालवी, हरियाणा, मेवाती।
- भैंस - मुर्रा, सूरती, नीली रावी, भदावरी, जाफरवादी, मेहसाना।
- बकरी - जमनापारी, बारबरी, बीटल, टोगनबर्ग।
- भेड़ - मारवाड़ी, चोकला, मालपुरा, मेरीनों, कराकुल, जैसलमेरी, अविवस्त्र, अविकालीन।
- ऊंट प्रबन्धन, पशुओं की आयु गणना।
- सामान्य पशु औषधियों के प्रकार, उपयोग, मात्रा तथा दवाईया देने का तरीका।
- जीवाणुरोधक - फिनाईल, कार्बोलिक एसिड, पोटेशियम परमेगनेट, लाईसोल
- विरेचक - मेगनेशियम सल्फेट (मैकसल्फ), अरण्डी का तेल।
- उत्तेजक - एल्कोहल, कपूर।
- क्रमिनाशक - नीला थोथा, फिनोविस।
- मर्दन तेल - तारपीन का तेल।
- राजस्थान के पशुओं की मुख्य बीमारियों के कारक, लक्षण तथा उपचार - पशु-प्लेग, खुरपका-मुंहपका, लगड़ी, एन्थ्रेक्स, गलघोटूं, थनेला रोग, दुग्ध बुखार, रानीखेत, मुर्गियों की चेचक, मुर्गियों की खूनीपेचिस।
- दुग्ध उत्पादन, दुग्ध एवं खीस संघटन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, दुग्ध परिरक्षण, दुग्ध परीक्षण एवं गुणवत्ता। दुग्ध मे वसा को ज्ञात करना, आपेक्षित घनत्व, अम्लता तथा क्रीम पृथक्करण की विधि तथा यंत्रो की आवश्यकता एवं दही, पनीर व घी बनाने की विधि। दुग्धशाला के बरतनों की सफाई एवं जीवाणु रहित करना। राजस्थान क संदर्भ मे पशुपालन क्रियाओं एवं गतिविधियों से संबंधित शब्दावली।
प्रश्न पत्र का पेटर्न
- वैकल्पिक प्रकार का प्रश्न पत्र होगा।
- अधिकतम पूर्णाक 300 अंक होगा।
- प्रश्नों की संख्या 100 होगी।
- प्रश्न पत्र की अवधि 2 घंटे होगी।
- प्रत्येक प्रश्न क 3 अंक होगे।
- प्रत्येक गलत उत्तर के लिए .33 अंक काटा जायेगा।
हमने यहां सिलेबस दिया है, उम्मीदवार इसके अनुसार तैयारी कर सकते हैं यदि कोई प्रश्न हो तो कृपया नीचे दिए गए टिप्पणी बॉक्स के माध्यम से उल्लेख करें। हम आपके प्रश्न का उत्तर जल्द से जल्द देंगे।