FliQi added a post in Notes 5 years ago.

Hindi (Sentence Correction) वाक्य शुद्धि

वाक्य शुद्धि : - वक्ता के कथन को पूर्णतः व्यक्त करने वाले शब्दो के समूह को वाक्य कहा जाता है। अर्थ की पूर्णता की दृष्टि से भाषा की लघुत्तम इकाई वाक्य है। वाक्य मे पूर्णता तभी आती है जब पद सुनिश्चित क्रम मे हो और इन पदों मे पारस्परिक अन्वय विधमान हो वाक्य पदों का समूह होता है लेकिन व्याकरण के नियमन के बिना इसे पूर्णता प्राप्त नहीं होती। त्रुटिपूर्ण वाक्य से अर्थ का अनर्थ हो सकता है इसलिए वाक्य का त्रुटिरहित होना परमावश्यक है। 


व्याहारिक दृष्टि से वाक्यों मे जो त्रुटियाँ प्रायः देखी जाती है वे इस प्रकार है -
1 संज्ञा से संबधित अशुद्धियाँ
2 सर्वनाम से संबधित अशुद्धियाँ
3  क्रिया संबंधित अशुद्धियाँ
4  लिंग से संबंधी अशुद्धियाँ
5  वचन संबंधित अशुद्धियाँ
6  कारक संबंधी अशुद्धियाँ
7 विशेषण संबंधी अशुद्धियाँ
8  पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ
9  अव्यय संबंधी अशुद्धियाँ
10  विराम संबंधी अशुद्धियाँ
11 आवश्यक पद के लोभ के कारण उत्पन्न अशुद्धियाँ
12 अनावश्यक पद के प्रयोग के कारण उत्पन्न अशुद्धियाँ

(1)  संज्ञा से संबंधित अशुद्धियों के उदाहरण : - 


अशुद्ध वाक्य     शुद्ध वाक्य 
आपके रहन सहन का दरजा ऊँचा है। -  आपके रहन सहन का स्तर ऊँचा है
पॉच टन कोयले - पॉच टन कोयला
फल का अच्छा पका खरीदना चाहिए - अच्छा पका फल खरीदना चाहिए
गले मे गुलामी की बेड़ियाँ पड़ी रही। - पैरों में गुलामी के बेड़ियाँ पड़ी रही।
कंस की हत्या कृष्ण ने की थी। - कंस का वध कृष्ण ने किया था।
वहाँ रोज जाने मे तुम्हारी क्या अच्छाई है। - वहाँ रोज जाने मे तुम्हारी क्या भलाई है।
तुमने इस पुस्तक का कितना भाग पढ लिया। - तुमने इस पुस्तक का कितना अंश पढ लिया ?
इस शहर के सभी दर्शनीय स्थान अच्छे है। - इस शहर के सभी दर्शनीय स्थल अच्छे है।
आपके प्रश्न का समाधान मेरे पास है। - आपके प्रश्न का उत्तर मेरे पास है
अमीरों के पास रूपए की बड़ी संख्या होती है - अमीरों के पास धन की बड़ी राशि होती है।

(2)  सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ : -  संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते है। ये संज्ञा के लिंग, वचन आदि रूप भी निर्धारित करते है। इस बात का ध्यान नहीं रखने पर सर्वनामों के स्तर की अशुद्धियाँ हो जाती है सर्वनामों के प्रयोग से संबंधित कुछ प्रमुख अशुद्धियाँ इस प्रकार की है


अशुद्ध वाक्य     -       शुद्ध वाक्य
मोहन और मोहन का पुत्र व्यस्त है - मोहन और उसका पुत्र व्यस्त है।
मैं तेरे को बता दूँगां - मैं तुझे बता दूँगा
मेरे को कुछ याद नहीं आ रहा। - मुझे कुछ याद नहीं आ रहा।
कहिए मेरेसे क्या काम है? - कहिए मुझसे क्या काम है
पिताजी ने मुझसे कहा। - पिताजी ने मुझे कहा।
वह उसका चश्मा भूल गया। - वह अपना चश्मा भूल गया।
जो भी इससे भिड़ेगा जो ही इसे हरा देगा। - जो भी इससे भिड़ेगा वही इसे हरा देगा।
वह मेरा दोस्त है वह मेरे साथ पढता है। - वह मेरा दोस्त है जो मेरे साथ पढता है।
मुख्य कहानी तो यहाँ ही से शुरू होती है। - मुख्य कहानी तो यहीं से/यहाँ से ही शुरू होती है।

(3)  क्रिया संबंधी अशुद्धियाँ : -  हिंदी मे कर्ता, कर्म, काल, वचन, लिंग, भाव आदि से क्रिया अपना रूप निर्धारित करती है इसलिए क्रिया और इन व्याकरणिक कोटियों का उपयुक्त संबंध स्थापित न होने पर क्रिया - संबंधी अशुद्धियाँ हो जाती है


अशुद्ध वाक्य       -   शुद्ध वाक्य
उसने शीशा तोड़ा और भाग गया - वह शीशा तोड़कर भाग गया।
वह यहाँ आए बिना नहीं रह सकता है। - वह यहाँ आए बिना नहीं रह सकता है।
यहाँ अशोभनीय वातावरण उपस्थित है। - यहा अशोभनीय अवातावरण है।
उसने मेरा गाना और घर देखा। - उसने मेरा गाना सुना और घर देखा
उसे गधा कहकर पुकारना ठीक नहीं। - उसे गधा कहना ठीक नहीं
बरसात होने की संभावना की जा रही है - बरसात होने की संभावना है या संभावना व्यक्त की जा रही है।
वह कमीज डालकर सो गया। - वह कमीज पहनकर सो गया।
राजा के दो पुत्र और दो पुत्रियाँ थे। - राजा के दो पुत्र और दो पुत्रियाँ थी।
उसने गुरू जी को बताया कि वे उसे माफ कर दें। - उसने गुरू जी से निवेदन किया कि आप मुझे माफ कर दें।
युग की माँग का यह बीडा कौन चबाता है। - युग की माँग का यह बीड़ा कौन उठाता है।

(4) लिंग संबधी अशुद्धियाँ :-  संज्ञा के जिस रूप से उसके पुरूष या स्त्री जाति होने का बोध हो लिंग कहलाते है। संस्कृत के नपुंसक लिंग शब्द भी हिन्दी के स्त्रीलिंग और पुल्लिंग में बट गए है जिसका कोई स्पष्ट नियम नहीं है और इसलिए लिंग संबंधी अशुद्धियाँ बहुत होती है संज्ञा के अनुसार विशेषण तथा क्रिया के लिंग रूप निर्धारित होते है 

अशुद्ध वाक्य     -  शुद्ध वाक्य
अरावली विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत है - अरावली विश्व का सबसे प्राचीन पर्वत है
गाँव में एक कन्या विधालय खुलेगी। - गाँव में एक कन्या विधालय खुलेगा।
उन्होनें बन्दुक चलाना सीख रखी है - उन्होने बन्दुक चलाना सीख रखा है।
दही खट्टी है। - दही खट्टा है
हमारी प्रदेश की जनता शांत है। - हमारे प्रदेश की जनता शांत है

(5) वचन संबंधी अशुद्धियाँ : -  संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसके एक या अनेक होने का बोध हो उसे वचन कहते है। हिंदी मे वचन भी संज्ञा, सर्वनाम विशेषण और क्रिया रूपों मे परिवर्तन करते है। वचन से संबंधी अशुद्धियाँ इस तरह की होती है -


अशुद्ध वाक्य        शुद्ध वाक्य 
मैने हस्ताक्षर कर दिया। - मैनें हस्ताक्षर कर दिए।
मैरी घड़ी में अभी तीन बजा है - मेरी घड़ी मे अभी तीन बजे है।
वहाँ सब श्रेणी के लोग उपस्थित हुए - वहाँ सब श्रेणियों के लोग उपस्थित हुए।
उसका प्राण उड़ गया। - उसके प्राण निकल गए।
राम ने चार बात सुनाई - राम ने चार बाते सुनाई
उसकी आँखों से आँसू बह रहा था। - उसकी आँखो से आँसू बह रहे थे।
कपड़े उतार कर रख दिया। - कपड़े उतार कर रख दिये।

(6)  कारक संबंधी अशुद्धियाँ : - जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का संबंध क्रिया से स्थापित करे वे कारक चिह्न या परसर्ग कहलाते है। कारक संबंधी अशुद्धियों से बचने के लिए इनका ज्ञान आवश्यक है
कारक व उनकी विभक्तियाँ


कारक       विभक्ति चिह्न
कर्ता कारक       ने 
 कर्म               को
  करण      से के द्वारा (साधन रूप से)
सम्प्रदान    के लिए
 अपादान      से (अलग होने के लिए)
 अधिकरण     में, पे, पर
 सम्बोधन      हे, अरे ओ (किसी को सम्बोधित करने के लिए) 


कारक संबंधी अशुद्धियों के उदाहरण 

अशुद्ध वाक्य  -   शुद्ध वाक्य
मैंने आज दिनभर सोया है - मै आज दिन भर सोया हूँ
मुझको स्कूल जाना है। - मुझे स्कूल जाना है।
इस पाठ को पढ़ो। - यह पाठ पढ़ो।
वह खाँसा और चला गया - उसने खाँसा और चला गया।
अपने हाथों काम करना अच्छा होता है। - अपने हाथों से काम करना अच्छा होता है।
वह मेरे पैरो पर गिर पड़ा। - वह मेरे पेरो मे गिर पड़ा।
वह भूख में तड़प् रहा है। - वह भूख से तड़प रहा है।
उन सभी में मै ही पहले पहुचा। - उन सभी से मै ही पहले पहूॅचा।

(7) विशेषण सम्बंधी अशुद्धियाँ : -  संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते है। भाषा को प्रभावशाली बनाने मे विशेषण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विशेषणों के प्रयोग में प्रायः निम्न अशुद्धियाँ होती है।


(i) अनावश्यक प्रयोग :-  जहाँ विशेषणों की आवश्यकता न होने पर भी उनका प्रयोग किया जाता है। 


अशुद्ध वाक्य  -    शुद्ध वाक्य
पुस्ताको मे यह बहुत श्रेष्ठ है।  - पुस्तकों में यह श्रेष्ठ है।
सारी दुनियाभर मे ढिंढ़ोरा पीट दिया। - दुनियाभर मे ढिंढोरा पीट दिया।
आज सोमवार का दिन है। - आज सोमवार है।
उसकी बहुत काफी पिटाई हो गई। - उसकी काफी पिटाई हो गई
यह सबसे सुंदरतम लड़की है - यह सबसे सुन्दर लड़की है
वह प्रातः काल के समय आया था - वह प्रातः काल आया था

(ii) गलत विशेषण प्रयोग : - विशेष्य के लिए उपयुक्त विशेषण का प्रयोग न करने से वाक्य मे इस प्रकार की अशुद्धि हो जाती है।


अशुद्ध वाक्य   -   शुद्ध वाक्य
राजू बड़ा बुद्धिमान है - राजू बहुत बुद्धिमान है।
मुझे भारी दुःख हुआ। - मुझे बहुत दुःख हुआ।
ये बहुत गहरी समस्या है। - ये बहुत गंभीर समस्या है
  
(iii)  संख्या वाचक विशेषण के प्रयोग संबंधी अशुद्धि : -  हिन्दी मे संख्या वाचक विशेषणों का प्रयोग करते समय निम्न अशुद्धियाँ होती है


अशुद्ध वाक्य       -  शुद्ध वाक्य 
विधालय मे 500 छात्र पढते है - विधालय मे पाँच सो छात्र पढ़ते है।
प्रत्येक बच्ची को चार-चार केले दे दे  - प्रत्येक बच्ची को चार केले दे दे

(8)  पदक्रम सम्बंधी अशुद्धियाँ : -  हिन्दी मे कर्ता, कर्म और इसके बाद क्रिया का प्रयोग होता है। गाय का गर्म दूध लाओ। वाक्य में पहले कर्ता (गाय) फिर कर्म (गर्म दूध) फिर क्रिया (लाओ) का प्रयोग हुआ है। प्रश्न वाचक शब्द क्या का प्रयोग प्रायः वाक्य से पूर्ण होता है।


 पदक्रम सम्बंधी अशुद्धियाँ के उदाहरण:-


अशुद्ध वाक्य      -  शुद्ध वाक्य
बच्चे को छीलकर केला खिलाओं - केला छीलकर बच्चे को खिलाओं।
शुद्ध गाय का दूध लाओ। - गाय का शुद्ध दूध लाओ।
कई कचहरी के वकील ऐसा कहते है। - कचहरी के कई वकील ऐसा कहते है।
विदेश बहुत से भारत के वैज्ञानिक गए है - भारत के बहुत से वैज्ञानिक विदेश गए है।

(9)  अव्यय संबंधी अशुद्धियाँ : - वे शब्द जिन पर लिंग, वचन, काल आदि का प्रभाव नहीं पड़ता अव्यय कहे जाते है। हिंदी मे अव्यय के निम्न प्रकार है -
1 समुच्च बोधक
2  सम्बन्ध बोधक
3  क्रिया विशेषण
4 विस्मयादि बोधक


अव्यय संबंधी अशुद्धियों के उदाहरण :- 


अशुद्ध वाक्य                शुद्ध वाक्य
राम ने बड़ी मेहनत की और वह सफल हुआ। - राम ने बहुत मेहनत की और वह सफल हुआ। 
शायद आज वह अवश्य आएगा। - शायद आज वह आएगा
वह केवल इसलिए यहाँ रहता है। - वह इसलिए यहाँ रहता है।
यधपि वह पढ़ा-लिखा है, फिर भी नासमझ है। - यधपि वह पढ़ा-लिखा है तथापि नासमझ है।
वह प्रायः बार-बार ऐसा करता है। - वह प्रायः ऐसा ही करता है।

(10)  विराम चिह्न सम्बधि अशुद्धियाँ : -  विराम चिह्न संबंधी अशुद्धियों को समझने के लिए विराम चिह्नों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।
विराम का अर्थ है- रूकना। वे चिह्न, जो बोलते और पढते समय रूकने का संकेत देते है, विराम चिह्न कहे जाते है।
 दूसरे शब्दों में व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध लेखन हेतु जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है वे विराम् चिह्न कहे जाते है। ये यती, गती, आरोह, अवरोह, के लिए कार्य करते है।


 हिन्दी में प्रयुक्त प्रमुख विराम चिह्न इस प्रकार है


(i) अल्प विराम : -  वाक्य मे अल्प समय रूकने हेतु तथा समान अवयवों को दर्शाने हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है। 
 जैसे

ठहरो, जाने दो
रोको, मत जाने दो


(ii)  अर्द्ध विराम चिह्न : - वाक्य मे द्वितीय विराम हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है, जहाँ अल्प विराम से कुछ अधिक विराम लेना पड़ता है।
 जैसे

हम सब विधालय गये, पढाई की; खाना खाया और घर आ गये।


(iii) उद्धरण चिह्न : - किसी वस्तु स्थिती को विशिष्ट दर्शाने हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है।
 जैसे :-

दैनिक समाचार पत्रों से मुझे ‘दैनिक भास्कर‘ सबसे अच्छा लगता है


(iv)  दौहरा उद्धरण चिह्न : - पूर्वोक्त कथन के दोहराने हेतु, लोकोक्ति, कहावत या मुहावरें का प्रयोग करने हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है। 
जैसे : -

गाँधी जी ने कहाँ ‘‘अहिंसा ही धर्म है।‘‘ 


(v)  हंस चिह्न (भूल सुधार चिह्न) : - छूटे हुए शब्दों को प्रदर्शित करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है।


(vi)  लाघव चिह्न : - शब्द को संक्षिप्त करने हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है 
जैसे:- भा. ज. पा.


(vii)  योजक चिह्न : - दो समान अवयवों को जोड़ने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है।
जैसे: -  माता-पिता


(viii)  निर्देशन चिह्न : - सम्बोधित निर्देश के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है।
 जैसे :-  अध्यापक ने बालकों से कहाँ इन बातो ध्यान से सुनों -


(ix) विवरण चिह्न : - किसी स्थिति को क्रमानुसार दर्शाने हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है।


(x)  प्रश्न वाचक चिह्न : - जिज्ञासा प्रकट करने हेतु या प्रश्न पूछने हेतु इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है
जैसे :- आप क्या कर रहे है।


(xi)  पाद चिह्न : - ये चिह्न शब्द के नीचे लगता है। शब्दों को सरलता से प्रदर्शित करने हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है।


(xii)  संकेतक चिह्न : - कठिन शब्दों के स्पष्टीकरण के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है


(xiii)  पूर्व विराम : - वाक्य की पूर्ण समाप्ति पर इस चिह्न का प्रयोग होता है


(xiv)  विस्मयादि बोधक चिह्न : - दुः घृर्णा, आश्चर्य खुशी आदि भावों को प्रकट करने हेतु इस चिह्न का प्रयोग होता है।


(xv)  लोप सूचक चिह्न : -  इस चिह्न का प्रयोग अधूरे वाक्य के लिए किया जाता है।


(xvi) कोष्ठक चिह्न : - अर्थ के अधिक स्पष्टिकरण के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है। 


विराम चिह्नों की अशुद्धियों से संबंधित उदाहरण:-

अशुद्ध वाक्य                शुद्ध वाक्य
वाह कितना सुन्दर दृश्य है। -  वाह ! कितना सुन्दर दृश्य है।
कृपया आप मेरी मदद करें।  - कृपया आप मेरी मदद करें।
अरे यह तो रातो-रात कमाल हो गया - अरे ! यह तो रातो - रात कमाल हो गया। 

(11) आवश्यक पद को लोप के कारण उत्पन्न अशुद्धियाँ : -  वाक्य रचना मे कभी - कभी कुछ पदों का लोप भी किया जाता है जिससे इस प्रकार का दोष उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण इस प्रकार है।


अशुद्ध वाक्य               शुद्ध वाक्य
उन्होनें मुझे आशीर्वाद दिया। - उन्होनें मुझे आशीर्वाद प्रदान किया।
साहित्य मेले मे शेक्सपीयर की धूम रही। - साहित्य मेले मे शेक्सपीयर के नाटकों की धूम रही।
कृष्णा पूनिया को भारत सरकार ने पद्म श्री दिया। - कृष्णा पूनिया को भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया। 

(12)  अनावश्यक पद के प्रयोग या अनावश्यक पद के कारण उत्पन्न अशुद्धियाँ : - कई बार वाक्य मे आवश्यकता न होने पर भी किसी पद का उपयोग हो या अज्ञानता के कारण किसी पद की आवश्यकता न होने पर भी पुनरूक्ति हो तो वाक्य मे अशुद्धि हो जाती है। 


अशुद्ध वाक्य        शुद्ध वाक्य
कृपया तीन दिन का अवकाश स्वीकृत करने की कृपा करे - कृपया तीन दिन का अवकाश स्वीकृत करें।
 वह सचमुच मे बदल गया। - वह सच मे बदल गया।
  प्राचार्य की बात को मान लो। - प्राचार्य की बात मान लो।
  सब्जी को खूब पका कर खाना चाहिए - सब्जी खूब पका कर खानी चाहिए
  मेरा सामान राजू के हाथों से भिजवा देना - मेरा सामान राजू के हाथों भिजवा देना। 

Rajasthan Police Constable Delhi Police RRC Group D